पिछले चालीस दिनों से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई हो रही थी, हिंदू-मुस्लिम पक्षकारों की ओर से लगातार दलीलें दी गईं, अदालत में तीखी बहस भी हुई. बुधवार को शाम 5 बजे इस मामले की बहस खत्म हुई और सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला रिजर्व रख लिया.
नई दिल्ली: अयोध्या की विवादित जमीन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 6 अगस्त से चल रही सुनवाई बुधवार को पूरी होने के बाद संविधान पीठ गुरुवार को फिर से बंद कमरे में बैठेगी.
बंद दरवाजे के पीछे होने वाली इस बैठक में सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट को लेकर आगे के रास्ते पर विचार करेगा. वहीं कोर्ट सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावा वापस लेने पर भी सुप्रीम कोर्ट चर्चा कर सकता है. बैठक में इस बात पर भी चर्चा होगी कि मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट की सामग्री सार्वजनिक की जाए या नहीं.
संविधान पीठ ने अयोध्या विवाद में सुनवाई पूरी करते हुए संबंधित पक्षों को ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ (राहत में बदलाव) के मुद्दे पर लिखित दलील दाखिल करने को तीन दिन का समय दिया है. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं.
छह अगस्त से रोजाना 40 दिन तक CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई की. इस दौरान विभिन्न पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं.
आप लोग क्या घटियापन वाला समाचार लिख रहे हैं ? अयोध्या में 5 जजों को आपने संविधान पीठ लिख दिया है । जब यह मामला संवैधानिक प्रावधानों में फैसले के नहीं बना है तो फिर आपने किस आधार पर ऐसी हैडिंग लिख दिया । यह बैंच विशेष बैंच है बस ।
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