जशपुर मुनादी।।
बगीचा का दोड़की नदी पुल एक बार फिर विवादों में आ गया है। बगीचा न.प. के वार्ड क्र.03,04,05 को ग्रामीणों को लाभ पहुंचाने के लिए तत्कालीन pwd मंत्री राजेश मूणत ने पुल निर्माण के लिए 3करोड़ 77 लाख 18 हजार रु.की स्वीकृति 9 फरवरी 2018 के आदेश में दी थी।खाश बात यह है कि इस नदी में पुल निर्माण के लिए ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने 3 दिनों तक जल सत्याग्रह किया था जिसको देखते हुवे जशपुर राजघराने की बड़ी बहुरानी प्रियंवदा सिंह जूदेव खुद नदी में उतरकर ग्रामीणों को जल्द पुल बनवाने का आश्वाशन दिया था और पुल निर्माण का भूमिपूजन भी किया था।
पुल निर्माण की स्वीकृति होने के बाद निर्माण कार्य किसी प्राइवेट कॉन्ट्रेक्टर को मिला।जिसने निर्माण में लापरवाही करते हुवे 1 साल में भी पुल का निर्माण नही किया । और मिट्टी डाल कर अस्थाई पुल बना दिया।
बीती रात नदी में पानी बढ़ जाने से वो मिट्टी का पुल बह गया । जिसके मरम्मत के लिए न तो ठेकेदार और न ही कोई सरकारी पहुँचा। जिसके बाद ग्रामीण खुद ही पुल निर्माण के लिए नदी में उतर गए ,और घंटों मेहनत के बाद पुल का निर्माण ग्रामीणों ने किया।
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लेकिन मुख्य बात यह है कि क्या मिट्टी का अस्थाई पुल बाह जाने के बाद क्या ठेकेदार की या पंचायत की कोई जिम्मेदारी नही है कि ग्रामीणों के लिए तत्कालीन व्यवस्था की जाए।अगर ग्रामीणों को पुल निर्माण में तेज बहाव से कोई हानि होती तो इसका जिम्मेदार कौन होता।
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