March 26, 2024



महिला को मात्र संदेह के आधार पर, अमानवीय तरीके से पुलिस कस्टडी पड़ी महंगी, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार, पढ़िए पूरी खबर




बिलासपुर मुनादी।।  छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें एक पीड़ित महिला को संदेह के आधार पर गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन अधिवक्ताओं द्वारा महिला का पक्ष रखने के बाद उस महिला को अमानवीय तरीके से गिरफ्तार करने के मामले में पुलिस को कडी फटकार लगाई गई है। 

इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ की युगलपीठ जिसमें मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा एवं न्यायमूर्ति रवीन्द्र कुमार अग्रवाल थे ने 19 मार्च को रिट याचिका क्रमांक 399, 2023 निराकृत करते हुए पाया गया कि महिला प्रार्थी क्रमांक 1 जो 55 वर्ष की वृद्ध महिला है और प्रार्थी क्रमांक 2 जो 26 वर्ष की युवा अविवाहित लडकी है को पुलिस थाना सिविल लाइन बिलासपुर द्वारा केवल संदेह के आधार पर न केवल गिरफ्तार किया गया बल्कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के अहम निर्णयों एवं दिशा निर्देशों का उल्लघन किया गया।


इस प्रकार पुलिस का कृत्य अमानवीय तथा प्रार्थीगण की गरिमा के प्रतिकुल पाया गया और छ.ग. सरकार को आदेश दिया गया कि वह उक्त प्रार्थीगण को क्रमशः 1  लाख, 2 लाख रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में दें। उक्त जानकारी देते हुए युवा अधिवक्ता मिस समीक्षा गुप्ता ने बताया कि यह अपने आप में नया मामला था कि किस तरह पुलिस जबरन महिला को बिना किसी संदेह के गिरफ्तार कर लेती है और इस अमानवीय कृत्य पर हाईकोर्ट के विद्वान न्यायधीश ने भी सुनवाई के दौरान पुलिस की बडी गलती माना। पीड़ित महिला की तरफ से मिस समीक्षा गुप्ता अधिवक्ता ने पैरवी की थी। 


पुलिस के लिये एक चेतावनी भी 

बिलासपुर हाईकोर्ट के द्वारा अधिवक्ता समीक्षा गुप्ता की तरफ से दी गई दलील के बाद हाईकोर्ट से जारी यह आदेश पुलिस द्वारा की गई अवैध गिरफ्तारियों एवं पद के दुरूपयोग को रोकने के लिये अहम फैसला रहेगा। जिससे छत्तीसगढ़ के निवासियों का कानून पर भरोसा बढेगा।










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