बस्तर से धर्मेन्द्र सिंह की मुनादी
आज हम आपको छत्तीसगढ के सुकमा जिले से 78 किमी दुर बिहडो में ऐसे मंदिर के दिखाते है आप ने कभी नही देखा होगा जो कम ही जगहो पर मिलते है बताया जाता है कि ब्रम्हा, विष्णु महेश, आदि शक्ति शीतला माता मुर्तिया के साथ शिवलिंग गणेश, लक्ष्मी माता की प्राचीन और दुलर्भ मुर्तियों के दर्शन कराते है। जो 11वीं शदी की मुर्तिया बताई जा रही है। इसके बारे में कम ही लोगो को मालुम है।
ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों नामों का पुराणों और ग्रंथों में कई प्रकार से उल्लेख है। ये तीनों देव सृष्टि के रचयिता कहे जाते हैं। हिंदू धर्म में इन तीनों देवों की पूजा का विशेष विधान है। लेकिन इनकी पूजा व दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को देशभर के कई मंदिरों में दर्शनों के लिए भटकना पड़ता है।ये है मुंबई में स्थित नागपुर में 350 किमी दूर बुलधाना के प्रणीता नदी के तट पर एक मंदिर है जहां विराजते हैं महकर के शारंगधर बालाजी।जिनकी दिव्य मूर्ति के साथ विराजे है ब्रम्हा, विष्णु और महेश। एक साथ तीन देवताओं के दर्शन ही इस मंदिर को विशेष और अद्भुत बना देते हैं। कहते हैं ये तीनों देवता सावन के महीने में साक्षात धरती पर उतर कर भक्तों की झोली भरते हैं। इस मंदिर को तो सभी जानते है। पर छत्तीसगढ के सुकमा जिले के जगरगुंड़ा में ब्रम्हा विष्णु महेश शीतला माता का मंदिर है। इसकी जानकारी स्थानीय लोगो को ही है। वही सुकमा जिले के लोगो को भी इस मंदिर के बारे में पता नहीं है। वही हम आपको बता दे कि 2009 में जब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह जगरगुण्डा आये थे तब मंदिर में दर्शन कर इसकी जीरो धान करने की लोगो को आश्वशन दिया हम जगरगुण्डा की बात करे तो 2006 के बाद नक्सलीयों के द्वारा ईलाके को पुरी तरह से क्षति ग्रस्त वही रोड, पुल, पुलिया तोड दिये है। जगरगुण्डा के रहवासी लोगो को शासन के द्वारा बनाये गये राहत शिविर में रहते है। अब जगरगुण्डा में आने के लिए लोगो में दहशत है। वही मंदिर के बारे में स्थानीय लोग कहते है कि मंदिर में आकर जो भी मन्नत मांगा जाता है वो पुरा होता है। वही ग्रामीणों ने बताया कि सीआरपीएफ के एक अधिकारी के यहां सालो से संतान नही हो रही थी उन्होनें मंदिर में आकर मन्नत मांगा और मन्नत पुरी हो गई वो दन्तेवाडा में पदस्थ है। आज भी हमे मिलते है। तो हमे मंदिर में आकर दर्शन करने कहते है। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि 2006 में नक्सलीयों ने पुरे ईलाके में दशहशत फैलाया रखा था इस मंदिर को भी अपना निशाना बनाने की कोशिस की थी मंदिर की मुर्ति को खण्डित करने की कोशिस की थी। वही जिस नक्सली ने मुर्ति को खण्डित करने की कोशिस कर थी वो आज जीवित नही है।
हालही मे ढोलकाल मे गणेश जी की अनमोल प्रतिमा के खंडन होने के बाद प्रतिमा को जोड़ पुनरू पहले जैसा आकार दिया गया है वही ब्रह्मा जी का मंदीर एकमात्र पुष्कर राजस्थान मे है वही दुसरा मंदीर जगरगुंडा मे ही होना लोग मान रहे है दरअसल हालही मे जगरगुंडा में जब munnadi .com की टीम पहुंची और लोगो से चर्चा करने के दौरान पुरे गाँव का भ्रमण किया तो लोगो ने जगरगुंडा गाँव ब्रह्मा विष्णु महेश भगवान की प्राचीन कालिन मुर्ती सहीत मंदीर होने की बात कही ब्रह्मा जी का मंदीर होने है। वही स्थानिय लोगो ने बताया की ब्रह्मा विष्णु महेश भगवान की मुर्ती ग्यारहवी शताब्दी के है उस दौरान बाहर से यहाँ पहूंचे राजा ने इन मुर्तीयों को बनवाया था और तब से ये मुर्ती यही है और रोजाना ग्रामीण ब्रह्मा विष्णु महेश मंदीर मे पुजन करने यहाँ पहुँचते है दरअसल एक दसक से जगरगुंडा नक्सलवाद के खिलाफ शुरू हूए सलवा जुडुम अभियान के बाद से पहूच विहिन गाँव के रूप मे जाना जाता है यहाँ वर्षों से निवास करने वाले अधिकतर लोग जगरगुंडा छोड़ अन्य इलाकों मे गुजर बसर करने लगे है और जो यहाँ से कही नही जा पाए वे लोग इन अनमोल प्रतिमाओं की देखरेख करते आए है और अब प्रशासन के नजर मे आई इन प्रतिमाओं को सुरक्षित रखने के निर्देश भी कलेक्टर निरज कुमार बनसोड़ के निर्देश पर एसडीएम विनय सोनी ने दिए थे लेकिन कलेक्टर के बदल जाने के बाद भी आजतक कोई वेवस्था प्रसासन ने नही की है
वही जगरगुण्डा से चार किलोमीटर आगे अचकट गांव में तालाब के किनारे 11वीं शदी के प्राचीन मुर्तिया हैं। जिसमे बडे बडे शिव लिंग लक्ष्मीमाता, गणेश भगवान के मुर्ति के साथ विष्णु भगवान के चक्र है। ग्रामीणो का कहना था कि सालोें से हम यहां पुजा करते है। जब यह गांव बसा है। तब से हम यहां हर तीज त्यौहार पर यहां पर पुजा अर्चना करते है। इन मुर्तियों के बारे मंे हमें पता है। वही हम आपको बता दे कि जगरगुण्डा ईलाके में और कई प्राचीन मुर्तिया है। लेकिन इसकी जानकरी ना तो प्रशासन को है और ना ही पुतत्व विभाग को है।
ना जाने और कितनी प्राचीन प्रतिमाएँ लोगो की नजरों से दुर है
जगरगुंडा सहीत इलाके के कई गाँव प्राचीन काल से यहाँ बसे हूए है वर्तमान मे यह इलाका पुरी तरह से पहुँच विहिन है जगरगुंडा मे भगवान की प्राचीन प्रतिमाओं के मिलने के बाद इलाके मे और भी प्राचीन एंव मुर्तीयों के होने की संभावनाएँ बढ़ गई है पर नक्सल खौफ के चलते इलाके मे पहुँचना आसान नही है जगरगुंडा के बुजुर्गों की मानें तो इलाके मे खोज करने मे और भी बहूकिमती प्रतिमाओं की जानकारी मिल सकती है
जगरगुंडा के बुजुर्गों ने बताया ब्रह्मा विष्णु एंव महेश भगवान की प्रतिमाएँ ग्यारहवी शताब्दी मे वारंगल से आए राजा ने बनवाया था इतिहास मे ग्यारहवी शताब्दी मे इस इलाके मे काकतीय वंश के राजा का राज हूआ करता था प्रतिमाओं के देखरेख के लिए वहाँ के कर्मचारीयों को निर्देश दिया गया है कलेक्टर महोदय के जानकारी पर बातों को लाया गया है देवगुड़ी योजना से वहाँ मंदीर भी बनाई जायगी।