मुनादी पत्थलगांव
पत्थलगांव के बहुचर्चित सबसे बड़े गोलमाल वन भूमि को रजिस्ट्री करने के बाद अब आदिवासियों की जमीन में भी डाका डालने का मामला सामने आया है दरअसल आदिवासी परिवार फूल साय, करन साय, कार्तिक एवं अन्य के द्वारा राष्ट्रीय जनजाति आयोग में की गई शिकायत के बाद आयोग ने मामले में जशपुर कलेक्टर को तलब किया है जिसके बाद टीएल में कलेक्टर द्वारा एसडीएम को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा था जिसके मुताबिक आज उसी निर्देश पर तहसीलदार मायानंद चन्द्रा आरआई,पटवारी के साथ जांच के लिए नंदन झरिया स्थित जमीन पर पहुंचे जहां स्थानीय रहवासियों समेत वार्ड के पार्षद राजू एक्का भी मौके पर मौजूद रहे जहां पटवारी, आरआई द्वारा ग्रामीणों की उपस्तिथि में जमीन का सीमांकन का कार्य शुरू ही हो पाया था कि कुछ देर बाद ही नवपदस्थ एसडीएम एस के टण्डन मौके पर पहुंचे और सारी प्रक्रिया को रुकवा दिया इस दौरान जमीन दलाल यहां खूब सक्रिय रहे । जहां एसडीएम ने कहा कि यहां एक सुई भी गिरती है तो आवाज ऊपर तक जाती है उपस्थित पत्रकारों को एसडीएम के यह बोल सुनने के बाद कुछ समझ ही नही आया और एसडीएम वहां से कार्य रुकवा कर चले गए लेकिन सवाल यह उठता है कि आयोग के निर्देश पर यह जांच आखिर रोकी क्यूं गई ? ऐसी क्या वजह थी कि आदिवासियों की शिकायत की जांच पूरी न हो सकी क्या आदिवासी बाहुल्य राज्य में आदिवासियों पर अन्याय होता रहेगा ? या भू माफियाओ का जाल बिछा रहेगा । वार्ड के पार्षद राजेन्द्र एक्का ने बताया कि यह सामने की भूमि आदिवासी परिवार की है जो यहां वर्षों से कृषि कार्य कर रहे हैं इस भूमि को गलत रजिस्ट्री किया गया है जिनके नाम भूमि बताई जा रही है वह भूमि टावर लाइन के पिछे है इसमें गलत हुआ है भोले भाले आदिवासियों के रिकार्ड को छेड़छाड़ कर जमीन की हेरा फेरी की गई है ।
बगल में ही है वन भूमि –
खैर यह बात तो थी आदिवासी की जमीन की लेकिन इसी भूमि के बगल में वन विभाग की बांस रोपणी है जिसे दलालों ने राजस्व विभाग के सहयोग से वन भूमि की भी रजिस्ट्री रसूखदारों को कर दी थी जिसमें लंबे अरसे से बांस की रोपणी लगी हुई है जिसके बाद तत्काल वन विभाग हरकत में आया और कार्रवाई करते हुए पेड़ काटने संबंधी मामला दर्ज कर ट्रेक्टरों को भी जप्त किया है जिसमे जेसीबी अब तक जप्त नही हो सकी है जो मामला न्यायालय में विचाराधीन है साथ ही इस वन विभाग की भूमि पर तात्कालीन एसडीएम पी वी खेस ने स्टे जारी कर दिया था जो वर्तमान में भी जारी है । और उस समय ही आरआई को रिपोर्ट देने भी निर्देश दिए थे जिसके बाद हालांकि पूरे मामले में गौर करने वाली बात यह है कि इतने बड़े जमीन के गोलमाल में अब तक तात्कालीन एसडीएम द्वारा जांच प्रतिवेदन भेज दिए जाने के बाद भी जिला प्रशासन चुप क्यूं बैठा है जो एक बड़ा सवाल है आखिर केंद्र सरकार के वन भूमि जिसका प्रकाशन भारत के राजपत्र में भी है उसे कैसे रजिस्ट्री की जा सकती है और कैसे कोई भी अधिकारी वहां का कब्जा दिलाने नोटिस जारी कर सकता है ??